जीवन में सबसे बड़ी खुशी उस काम को करने में है, जिसे लोग कहते हैं तुम नहीं कर सकते

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दोस्तों जीवन के तजुर्बो से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है , क्योकि जीवन हमे दिन -प्रतिदिन चाहे हम खुश हों या दुखी ,सफल हो या विफल , किसी से मिलना हो या बिछड़ना ,हर तरह के अनुभव का आभास करता रहता है ।

दोस्तों हम सब की जिंदगी में हमें कोई भी मुश्किल काम करने के लिए किसी ने किसी प्रोत्साहन की जरूरत होती है। ऐसा बहुत बार होता है कि जब कोई काम हमें बहुत मुश्किल लगने लगता है, तो हम सोचते हैं कि यह काम हम नहीं कर सकते। लेकिन ऐसे में कुछ ऐसा होता है जिसे सुनकर या पढ़कर हमें ऐसा लगने लगता है  कि हम मुश्किल से मुश्किल काम कर सकते हैं। लाइफ में उतार चढ़ाव तो हमेशा ही आते रहते है। धूप के बाद छाँव और दुख के बाद सुख यही जीवन का सार है। हमे इस बात को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए कि जीवन मे कोई भी चीज़ हमेशा एक समान नही रहती हैं। वक़्त के साथ सब कुछ बदलता है। किसी भी परिस्थिति में धैर्य नहीं खोना चाहिए। क्योंकि अगर आज आपके ऊपर दुखो का पहाड़ टूटा है तो भी ये वक्त चला जायेगा और अगर आज आप किसी चीज को लेकर बहुत खुश हैं, तो भी ये वक्त गुज़र जाएगा। इसलिए हमेशा खुद को एकसमान रखने की कोशिश करें। ज़िन्दगीं में कभी हार ना मानें, बस चलते रहे और अडिग होकर जीवन की राह में कदम बढ़ाते रहे। आपको एक छोटी सी कहानी के माध्यम से बताता हूँ ।

एक बार की बात है, पहाड़ियों और हरे-भरे घास के मैदानों के बीच बसे एक छोटे से गाँव में, अर्जुन नाम का एक युवा लड़का रहता था। अर्जुन का एक सपना था जो उसके आस-पास के सभी लोगों को बिल्कुल असंभव लग रहा था। वह एक चित्रकार बनने की ख्वाहिश हमेशा अपने दिल में रखता था और कला की लुभावनी कृतियाँ बनाना चाहता था जो विस्मय और प्रशंसा को प्रेरित करें।

हालाँकि, वहाँ के ग्रामीणों ने अर्जुन को हतोत्साहित करने में देर नहीं की। उनका मानना था कि पेंटिंग एक बहुत बड़ा कार्य है, और वे उसके कलाकार बनने के विचार पर हँसते और कहते, “तुम पेंटिंग नहीं कर सकते, अर्जुन।” “अपने आपको किसी और काम में लगा लो ताकि उससे कुछ आमदनी भी हो जाये । ”

लेकिन अर्जुन अपने अंदर की आग को नजरअंदाज नहीं कर पता ? और  हर दिन, वह चुपचाप नदी के किनारे एकांत स्थान पर चला जाता था और अपने पिता के शेड में मिले एक पुराने कैनवास पर पेंटिंग करता था। उनकी पेंटिंग परिपूर्ण नहीं थीं, लेकिन वे जुनून और भावना से भरी थीं।

एक दिन, जब अर्जुन अपने काम में तल्लीन था, तब मिस्टर गुप्ता नाम का एक बूढ़ा व्यक्ति उसके पास आया। और गुप्ता जी पूरे गाँव में अपनी बुद्धिमत्ता और दयालुता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने कुछ देर तक अर्जुन को देखा और उस युवा लड़के के दृढ़ संकल्प का अध्ययन किया।

“आप ऐसा कुछ करने पर क्यों अड़े रहते हैं जिसे हर कोई कहता है कि आप नहीं कर सकते?” गुप्ता ने अर्जुन से पूछा।

अर्जुन ने ऊपर देखा, उसकी आँखें दृढ़ संकल्प से भर गईं। और उसने कहा “क्योंकि, सर, यह ही एक ऐसी चीज़ है जो मुझे वास्तव में खुशी देती है। जब मैं पेंटिंग करता हूं, तो मैं अपनी सारी चिंताएं भूल जाता हूं, और मुझे लगता है कि मैं कुछ भी कर सकता हूं।”

गुप्ता जी ने अर्जुन के जुनून की गहराई को समझते हुए सिर हिलाया। उन्होंने दयालुता से मुस्कुराते हुए अर्जुन से कहा, ” बेटा तुम्हें पता है, जीवन में सबसे बड़ी खुशी अक्सर उन चीजों को करने से मिलती है जो लोग कहते हैं कि तुम नहीं कर सकते। पेंटिंग करते रहो, मेरे बेटे, और कभी भी किसी के संदेह में अपने आपको परेशान मत होने दो।”

अर्जुन ने गुप्ताजी की बात को दिल पर ले लिया। उसने अपनी कला को दिन -प्रतिदिन निखारते हुए ,अपनी कलाकृति में अपना दिल और आत्मा डालकर, हर दिन पेंटिंग करना जारी रखा। उनके कौशल में सुधार हुआ, और उसने अपनी पेंटिंग्स में  गाँव और उसके लोगों की सुंदरता को चित्रित करना शुरू कर दिया।

एक दिन, गाँव से गुजरते समय एक भ्रमणशील कला संग्राहक की नजर अर्जुन के चित्रों पर पड़ी। वह कलाकृति में स्पष्ट प्रतिभा और जुनून से आश्चर्यचकित हुआ। उसने अर्जुन की सभी पेंटिंग खरीदने की पेशकश की और अर्जुन सहमत हो गया ।

अर्जुन की अविश्वसनीय प्रतिभा की बात जंगल में आग की तरह फैल गई। जल्द ही, दूर-दराज के शहरों की कला दीर्घाएँ उनके काम का प्रदर्शन करने लगीं और लोग उनकी उत्कृष्ट कृतियों को देखने के लिए दूर-दूर से आने लगे। अर्जुन का सपना सच हो गया था, और वह उस खुशी से भरा जीवन जी रहा था जिसकी उसे हमेशा इच्छा थी।

कहानी का सार यह है कि “जीवन में सबसे बड़ी खुशी अक्सर अपने जुनून को पूरा करने से मिलती है, तब भी जब दूसरे आपकी क्षमताओं पर संदेह करते हैं। चित्रकार बनने के अपने सपने को पूरा करने के अर्जुन के अटूट दृढ़ संकल्प ने अंततः उसे वह पूर्णता और खुशी प्रदान की जिसकी वह हमेशा से तलाश कर रहा था

“जीवन है चलने का नाम, चलते रहो सुबह और शाम”, बॉलीवुड फ़िल्म के इस मशहूर गीत को आपने जरूर सुना होगा। इस गीत मे जीवन का सार छुपा हुआ है जिसे हम सभी को समझने की जरूरत है और इस पर अमल करने की जरूरत है। सफर में कितने भी काँटे हो..या कितने भी फूल हो, सबको पार करते हुए बढ़ते रहिए और जीवन जीते रहिये।

अगर आज घनघोर अंधेरा है तो जल्द ही सुबह होने वाली है..आज सफर में काँटे हैं तो वो दिन दूर नहीं जब आपके रास्ते में फूल बिखरे मिलेंगे। बशर्ते आपको रुकना नहीं है, धीरे-धीरे ही सही..लेकिन आगे बढ़ते रहना है।

सोहन लाल द्विवेदी जी की कुछ पंक्तिया आपको जरूर प्रेरणा देती रहेगी ।

“नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।”

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